डिजिटल डिवाइस से गुम न हो जाए बचपन की आवाज
इस साल लंदन में आयोजित लैंग्वेज थैरेपिस्ट्स कॉन्फ्रेंस में प्रस्तुत हुए शोध-पत्र में डिजिटल उपकरणों को बच्चों के ओरल स्किल्प विकास में बाधक बताया।
अमरीकी न्यूरोसाइंटिस्ट्स के अनुसार, दो से पांच साल के मध्य का बच्चा एक या दो बार देखे जाने वाले नए शब्द को समझ लेता है और याद कर लेता है। इसे फास्ट मैपिंग कहते हैं। इस अवधि के बाद बच्चे एक नए शब्द को औसत रूप से 12 बार देखने पर ही उसे समझ और याद रख पाते हैं।

आजकल बच्चे अपने वर्किग पेरेंट्स की व्यस्तता की वजह से बोलचाल से दूर डिजिटल डिवाइसेज में रमे रहते हैं।करीब दो साल के बच्चे की ओरल स्किल्स तथा लिटरेरी इंटरेस्ट को विकसित करने में माता-पिता का हाथ होता है।
आजकल छोटा बच्चा अपने माता-पिता से बातचीत करने की तुलना में डिजिटल उपकरण के साथ खेलना अधिक पसंद करता है और यही कारण है कि वह बोलने की दक्षता से दूर होता जा रहा है। उपकरणों की स्क्रीन पर अधिक समय बिताने वाले बच्चों में साहित्यिक रूझान भी कम हो रहे हैं।
इसका खुलासा सितंबर में रॉयल कॉलेज ऑफ लंदन, इंग्लैंड में आयोजित लैंग्वेज थैरेपिस्ट्स कन्फ्रेंस में हुआ, जहां प्रस्तुत एक शोध-पत्र में कहा गया था कि दो साल की उम्र के बच्चे की ओरल स्किल्स के आधार पर उस बच्चे के 11 वर्ष के होने पर साहित्यिक कौशल की संभावित रेखा बताई जा सकती है।
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